वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:- मौसम ने एक बार फिर से करवट ली है। शुक्रवार सुबह से ही तेज हवाओं के साथ तेज बारिश हुई। कुछ जगहों पर बदली छाई रही। मौसम विभाग की मानें, तो चक्रवाती हवाओं की वजह से मौसम में बदलाव रहेगा
कानपुर में अरब सागर और भूमध्य सागर से देर शाम उठी चक्रवाती हवाओं की वजह से मौसम में अचानक परिवर्तन आ गया। तेज हवा के साथ बादल गरजने शुरू हो गए। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार रात के करीब एक बजे महानगर और इसके आसपास के क्षेत्रों में 25 किमी की रफ्तार से हवाएं चलीं।
कहीं-कहीं बूंदाबांदी भी हुई। संभावना है कि अगले 48 घंटे तक बीच-बीच में बारिश व ओले पड़ सकते हैं। इस बीच दिन में शुक्रवार को इस महीने का सर्वाधिक तापमान 35.8 डिग्री रिकार्ड किया गया। जबकि रात का पारा 18 डिग्री सेल्सियस रहा।
वहीं देर रात नम हवाएं चलने से रात के तापमान में करीब चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। मौसम विभाग प्रमुख डॉ. एसएन पांडेय के अनुसार शनिवार को पूरे दिन मौसम बदला रहेगा। इस बीच बारिश व ग्रामीण क्षेत्रों में ओले पड़ सकते है। कहीं-कहीं बिजली भी गिर सकती है।
बेमौसम बारिश ने किसानों को किया परेशान
मौसम में हो रहे अचानक बदलावों से किसान फसलों को सुरक्षित करने में जुट गए हैं। कृषि एवं मौसम विशेषज्ञों ने किसानों को सचेत किया है कि अगले दो दिनों तक तेज हवा के साथ बारिश की संभावना है। बता दें कि पिछले एक सप्ताह पहले लगातार कई दिनों तक रुक-रुक हुई बारिश ने किसानों को खासा परेशान किया था।
हालांकि ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से आसमान में बादल छाए रहने से किसान परेशान हैं और दिन-रात एक कर फसलों को उठाने में जुटे हैं। किसानों का कहना है कि यदि बारिश हो गई, तो साल भर की मेहनत बेकार हो जाएगी।
फसल भीगने पर फंगस का बढ़ेगा खतरा
कृषि और मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश से चना, मटर, गेहूं, मसूर आदि फसलों को ज्यादा नुकसान होगा। फसल भीगने पर उनके दाने खराब हो जाएंगे। ज्यादा पानी पड़ने पर दाना सड़ने का खतरा हो सकता है। फंगस रोग लगने का भी खतरा बढ़ जाएगा। मौसम को देखते हुए किसान पकी फसलों को तुरंत सुरक्षित कर लें।
अब मजदूरी ही मजबूरी
ओलावृष्टि और बारिश से बर्बाद हो चुकी फसलें देखकर किसानों की सांसें अटकी हुई हैं। उनकी पीड़ा का कोई अंत नहीं है। जिस फसल को घर ले जाने की तैयारी किसान कर रहे थे, उस पर मौसम की ऐसी मार पड़ी कि सबकुछ तबाह हो गया। अब प्रभावित किसानों के सामने मजदूरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।